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Pandit Harishankar Tiwari Death News | पंडित हरिशंकर तिवारी जिन्हें राजनीति का बाहुबली माना जाता था, उनका रविवार देर रात निधन हो गया

Harishankar Tiwari Death: पंडित हरिशंकर तिवारी जिन्हें राजनीति का बाहुबली माना जाता था इनका रविवार देर रात निधन हो गया। हरिशंकर तिवारी के बेटे के साथ-साथ पूरे परिवार में मातम का माहौल छाया हुआ है। इनके समस्त समर्थकों में शोक की लहर दौड़ रही है। पंडित हरिशंकर तिवारी ने अपने समय पर अपराध और राजनीति की दोस्ती करवाई थी।

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Pandit Harishankar Tiwari Death News

उत्तर में नेपाल और दक्षिण के मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। पूर्वांचल में कई सारे माफियाओं के गैंगवार की कहानी शुरू हुई थी। यूपी के माफिया राज के पहले पात्र पंडित हरिशंकर तिवारी रह चुके हैं। इन के चर्चित होने के बाद लोग अपने आप को कम और बंदूका और हत्यारों को ज्यादा सवारने लगे थे।

भारत में पंडित जी द्वारा ही अपराध और राजनीति का गठबंधन किया गया था। हॉस्टल की एक रूम में शुरू हुआ यह सफर किसी को नहीं मालूम था कि राजनीति तक जा सकता है। देखते ही देखते छात्र राजनीति से निकलकर कुछ सालों में पंडित हरिशंकर तिवारी ब्राह्मणों के नेता बन जाएंगे। वहीं दूसरी तरफ वीरेंद्र प्रताप शाही क्षत्रियों के नेता के रूप में देखे गए थे।

Harishankar Tiwari Passed Away | पंडित हरिशंकर तिवारी कौन थे ?

पंडित हरिशंकर तिवारी के बारे में एक बात काफी ज्यादा चर्चित में रहती हैं कि वह गरीबों के दिल में और अमीरों के दिमाग में हमेशा रहते थे। इन्ही के नक्शे कदम पर चलते हुए माफिया राज की शुरुआत हुई थी। लेकिन बताना चाहते हैं कि कुछ कारणों की वजह से देखते ही देखते पंडित हरिशंकर तिवारी का दबदबा कम होने लगा। एक बहुत बड़ी बात थी कि राजनीति के बाहुबली पंडित हरिशंकर तिवारी को पहली बार हार का सामना करना पड़ा था।

चुनाव के बाद ऐसा लग रहा था कि हरिशंकर तिवारी के पावर को किसी की नजर लग गई है। 2012 में हुए अगले चुनाव में यहां भी हरिशंकर तिवारी को हार का सामना करना पड़ा। तिवारी तीसरे स्थान पर आ गए थे और पहले स्थान पर राकेश त्रिपाठी ने जीत हासिल की थी। लगातार हार होने के बाद हरिशंकर तिवारी जी ने अपने दोनों बेटे के साथ साथ भांजे को भी राजनीति की दुनिया में दाखिला करवा दिया था। गोरखपुर के एक किराए के कमरे में रहने वाले पंडित हरिशंकर तिवारी जी का आज जटाशंकर मोहल्ले में एक बहुत बड़ा मकान है। पूरे पूर्वांचल में इसे तिवारी हाता के नाम से जाना जाता है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि आज हमारे बीच में नहीं है।

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