पाकिस्तान ने काला धन निकालने के लिए उठाया ये कड़ा कदम, अमीरों के लिए टैक्स माफी स्कीम- नकदी की परेशानी से जूझ रही पाकिस्तान सरकार ने कर का दायरा बढ़ाने और बेहिसाब संपत्ति को उजागर करने के लिए टैक्स माफ़ी योजना लेकर आई है| बता दें की पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के साथ 6 अरब डॉलर के राहत पैकेज को लेकर समझौता करने के कुछ दिनों बाद ही देशहित में यह अहम फैसला लिया है| पिछले साल भी पाकिस्तानी सरकार ने कुछ इसी प्रकार की योजना शुरू की थी जो हदतक सफल रही थी|
वित्तीय मामलों पर पीएम इमरान खान के सलाहकार डॉ. अब्दुल हाफिज शेख ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संपत्ति घोषणा योजना (ADS) का ऐलान किया| इससे पहले भी योजना लाई जा चुकी है| यह करदाताओं के लिये बेहिसाबी संपत्ति घोषित करने तथा कर देनदारी की माफी को लेकर निश्चित राशि का भुगतान कर पाक साफ होने सुनहरा मौका है| करदाताओं पर इसके लिये कोई आपराधिक मामला नहीं चलाया जाएगा| पाकिस्तानी अखबार डॉन के अनुसार, हाफिज शेख ने बताया कि यह योजना समझने और लागू करने के लिहाज से काफी आसान है|
इस योजना को एक सिमित अवधि के लिए लागू किया गया है| सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों को छोड़कर अन्य सभी लोग इस योजना का लाभ 30 जून तक उठा सकते है| इस योजना के तहत पाकिस्तान के करदाता देश और विदेश में जमा संपत्ति का ब्यौरा देंगे| उन्होंने कहा कि इस कदम का मकसद कोई नई आय सृजित करना नहीं बल्कि निष्क्रिय पड़ी संपत्ति को अर्थव्यवस्था में लाना तथा उसका उपयोग करना है. इसके पीछे सोच लोगों को ‘आतंकित करना’ नहीं बल्कि कारोबारियों को अर्थव्यवस्था में योगदान के लिए प्रोत्साहित करना है|
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत काफी खराब है| पाकिस्तानी सरकार इसको लेकर काफी चिंतित है और यही वजह है की इसमें सुधर के लिए कई तरह की योजनाएं लेकर आ रही है| पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने शपथ ग्रहण करने के बाद ही अवाम को संबोधित करते हुए कहा था कि वह सादगी से रहेंगे और अवाम के टैक्स की हिफाजत करेंगे|
पिस्टन में असमानता काफी उचे स्तर तक पहुँच गई है| भ्रष्टाचार की वजह से एक वर्ग ने खूब धन कमाया और दूसरा वर्ग कंगाल हो गया| सरकार के लिए काला धन निकलना इस वजह से भी जरुरी है क्योंकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस समय सबसे खराब दौर से गुजर रही है| पाकिस्तान का सार्वजनिक कर्ज बढ़कर 27.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. इस तरह पाकिस्तान अब कर्ज के लिए निर्धारित उच्चतम सीमा को भी पार कर चुका है और अर्थव्यवस्था तथा उसके लोगों का भविष्य खतरे में पड़ गया है|