दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा की आप दिल्ली में आत्महत्या करने वाले को मुआवजा क्यों दे रहे है| दरअसल कोर्ट ने ये सवाल तब किया जब दिल्ली सरकार ने ओआरओपी आंदोलन के दौरान एक पूर्व सैनिक ने आत्महत्या की थी, जिसके परिवार वालो को दिल्ली सरकार ने एक करोड़ रूपए का मुआवजा देने का ऐलान किया| दिल्ली कोर्ट ने प्रश्न उस पूर्व सैनिक के आत्महत्या करने और उसे दिल्ली सरकार द्वारा शहीद का दर्जा दे कर, एक करोड़ रुपए का मुआवजा देने और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने फैसले पर किया|
बता दें की साल 2016 में वन रैंक, वन पेंशन आंदोलन के समय एक पूर्व सैनिक ने कीटनाशक दवा खाकर आत्महत्या कर ली थी| दिल्ली हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की बैंच ने कहा की दिल्ली क्या आप ने स्किम बना ली है की, आत्महत्या करिए और एक करोड़ की सहायता पाइए| जब आप मृत के परिवार वालो को एक करोड़ रुपए दे रहे है तो अलग से एक सरकारी नौकरी देने का क्या मतलब है| दिल्ली हाई कोर्ट ने दोनों याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए ये बात कही| इन दोनों याचिकाओं में राम किशन ग्रेवाल को शहीद कर दर्जा देने वाले दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी| कोर्ट ने दोनों ही याचिकाएं ख़ारिज करते हुए कहा की याचिकाएं समय से पहले दी गई है| जिनपर अभी विचार नहीं किया जा सकता| दिल्ली सरकार द्वार लिए गए फैसले पर अभी दिल्ली उपराज्यपाल का अंतिम फैसला आना बाकि है|
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के खिलाफ 10 करोड़ रुपए के दूसरे मानहानि वाले के में मुख्यमंत्री के लिखित बयान के खिलाफ जेटली के उत्तर को रद्द करते हुए मुख्यमंत्री की याचिका ख़ारिज कर दी| कोर्ट ने अरुण जेटली के द्वार उठाये गए मुद्दों को सही करार दिया है| बता दें की दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अदालत में याचिका दायर कर उन्हें लिखित हलफनामे के जवाब में जेटली ने जवाब में दायर किया उसे ख़ारिज करने को लेकर ये याचिका मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा दी गई थी| जिसमे पूर्व वकील के द्वारा ‘‘अपमानजनक’’ शब्दों का प्रयोग भी शामिल है|
जस्टिस मनमोहन ने कहा की अरुण जेटली द्वारा किए गये सवाल बिल्कुल ठीक है, इससे केंद्रीय मंत्री का रुख साफ स्पष्ट होता है और जेटली द्वारा किए गये सवालो को क़ानूनी प्रकिरिया का दुरपयोग नही कहा जा सकता|