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जिओ के बाद कंपनियों को एक और झटका, आरकॉम एवं एयरसेल हुए एक

रिलायंस कम्युनिकेशंस, एयरसेल ने आपस में कारोबार के विलय की घोषणा कर दी है। देश के टेलीकॉम सेक्टर में विलय के अब तक के सबसे बड़े सौदे में रिलायंस कम्युनिकेशंस और एयरसेल ने अपने वायरलेस कारोबार को मिला कर एक नयी कंपनी बनाने की आज औपचारिक घोषणा कर दी है। नई कंपनी की सम्पत्ति 65,000 करोड़ रुपये की होगी।

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नई कंपनी में दोनों का 50-50 फीसदी हिस्सा होगा। मैनेजमेंट पर दोनों का समान अधिकार होगा। टेलीकॉम सेक्टर में अब तक का सबसे बड़ा मर्जर हुआ है और इस मर्जर के बाद यूजर के लिहाज से नई कंपनी देश की तीसरी बड़ी कंपनी होगी।

अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले एडीएजी समूह की आरकॉम और मलेशिया की मैक्सिस कम्युनिकेशंस बेर्हाड (एमसीबी) की इस साझा इकाई में दोनों भागीदारों की आधे आधे की हिस्सेदारी होगी। दोनों कंपनियों की निदेशक मंडल और समितियों में समान भागीदारी होगी। दोनों कंपनियों ने कहा कि इस सौदे से आरकाम का कर्ज 20,000 करोड़ रुपये (3 अरब डालर) कम होगा जबकि एयरसेल के कर्ज में 4,000 करोड़ रुपये 60 करोड़ डॉलर की कमी आएगी।

नई इकाई स्पेक्ट्रम के मामले में दूसरी सबसे बड़ी कंपनी होगी. कंपनी के पास 850, 900, 1800 और 2100 मेगाहट्र्ज बैंड में कुल 448 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम होगा। इकाई के पास 65,000 करोड़ रुपये (9.7 अरब डॉलर) की संपत्ति होगी और नेटवर्थ 35,000 करोड़ रुपये (5.2 अरब डॉलर) हो जाएगी।

जानकारों का मानना है कि इस विलय से रिलायंस जियो की आक्रामक लॉन्च के बाद टेलीकॉम सेक्टर में मुकाबला बढ़ने के पूरे आसार हैं। वायरलेस सब्सक्राइबर बेस पर रिलायंस कम्युनिकेशंस देश की चौथी सबसे बड़ी कंपनी है जिसके 9.87 करोड़ ग्राहक हैं जबकि एयरसेल इस मामले में 8.8 करोड़ ग्राहकों के साथ छठें स्थान पर है। विलय के बाद नई कंपनी तीसरे नंबर पर काबिज आइडिया को पीछे छोड़ देगी। फिलहाल भारती एयरटेल पहले और वोडाफोन दूसरे नंबर है और अब ये नई कंपनी तीसरे स्थान पर आ जाएगी।

Anil Ambani, chairman of the Reliance Anil Dhirubhai Ambani Group, speaks during a news conference in Mumbai January 16, 2011. REUTERS/Danish Siddiqui/Files

रिलायंस एडीएजी समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी ने कहा, ‘‘एमसीबी के साथ मिलकर हमने भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में एकीकरण में अगुवाई की है और इससे हम काफी खुश हैं। पहले, आर कॉम ने एसएसटीएल सिस्तेमा (एमटीएस) के वायरलेस कारोबार का अधिग्रहण और अब एयरसेल के विलय से एमसीबी के साथ हमारा 50:50 के अनुपात संयुक्त उद्यम बना है। उन्होंने कहा कि इस संयुक्त उद्यम से व्यापक स्पेक्ट्रम पोर्टफोलियो, अधिक आय और लागत में तालमेल से आरकाम और एमसीबी दोनों के शेयरधारकों के लिये उल्लेखनीय दीर्घकालीन मल्य प्राप्त होगा। एमसीबी ने कहा, ‘‘इस सौदे से एमसीबी (मैक्सिस कम्यूनिकेशन्स) की भारत के प्रति प्रतिबद्धता की बात फिर से साबित होती है। एयरसेल का 2006 में अधिग्रहण के बाद से एमसीबी ने 35,000 करोड़ रुपये (5.2 अरब डॉलर) का निवेश एयरसेल में किया है। यह भारत में न केवल दूरसंचार क्षेत्र में बल्कि सभी क्षेत्रों में किये गये बड़े निवेशों में से एक है।

दोनों ही कंपनियां नई कंपनी में डेट फंड डालेंगी। नई कंपनी में दोनों 14000-14000 करोड़ रुपये डालेंगी। आरकॉम, एयरसेल, एमटीएस के भारत में 18 करोड़ ग्राहक है। नई कंपनी के स्पेक्ट्रम की वैधता 2033-2035 तक होगी। आरकॉम को पश्चिम बंगाल, बिहार, असम में फायदा मिलेगा। एयरसेल के पार 13 सर्किल के लाइसेंस है। वहीं आरकॉम के पास 11 सर्किल के लाइसेंस हैं। आरकॉम को जीएसएम सर्विस बढ़ाने में मदद मिलेगा।

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