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वाल्मीकि जयंती क्यों मनाई जाती है? | महर्षि वाल्मीकि जीवन परिचय | Valmiki Jayanti kab hai

वाल्मीकि जयंती क्यों मनाई जाती है? | महर्षि वाल्मीकि जीवन परिचय | Valmiki Jayanti kab hai: हर साल आश्विनी माह की पूर्णिमा के दिन वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है। इस साल यह 13 अक्टूबर को पड़ रही है। वाल्मीकि जयंती को भारत के हर हिस्से में बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाई जाती है। उत्तर भारत में वाल्मीकि जयंती पर एक अलग ही रौनक दिखाई देती है। इस दिन को प्रकट दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। वाल्मीकि जयंती कब है? वाल्मीकि जयंती क्यों मनाई जाती है? महर्षि वाल्मीकि जी का जीवन परिचय इन सभी के बारे में हम आपको आज विस्तार से जानकारी दें रहे है।

वाल्मीकि जयंती क्यों मनाई जाती है? | महर्षि वाल्मीकि जीवन परिचय | Valmiki Jayanti kab hai
वाल्मीकि जयंती क्यों मनाई जाती है? | महर्षि वाल्मीकि जीवन परिचय | Valmiki Jayanti kab hai

वाल्मीकि जयंती क्यों मनाई जाती है?

महर्षि वाल्मीकि जी का जन्म त्रेता युग में हुआ था। वाल्मीकि जयंती उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। वाल्मीकि जी का जीवन बुरे कर्मों को त्यागकर अच्छे कर्मों और भक्ति की राह पर चलने का मार्ग चलने की राह दिखाता है। इस संदेश को हर एक व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए ही वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है। वाल्मीकि जयंती के अवसर पर कई जगह पर शोभायात्रा भी निकाली जाती है। इस दिन देशभर में कई जगह पर भंडारे आदि का आयोजन भी आयोजन किया जाता है।

महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय

महर्षि वाल्मीकि जी के जीवन के बारे में कहा जाता है की वह महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरूण और उनकी पत्नी चर्षणी के घर हुआ था। ऐसा कहा जाता उनका बचपन में एक भील ने अपहरण कर लिया था और फिर उनका पालन पोषण भील प्रजाति में हुआ। यही वजह है की वह बड़े होकर डाकू रत्नाकर बन गए। इस दौरान उन्होंने जंगलो में काफी समय बिताया। महर्षि वाल्मीकि वैदिक काल के महान ऋषि में से एक है। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार उन्होंने यह पद प्रतिष्ठा काफी मेहनत से प्राप्त की। महर्षि वाल्मीकि खगोल विद्या और ज्योतिष शास्त्र के काफी बड़े ज्ञाता थे।

रामायण की रचना कैसे हुई?

पौराणिक कथाओं के अनुसार श्री राम के परित्याग के बाद महर्षि वाल्मीकि जी ने ही मां सीता को अपने आश्रम में पनाह दे कर उनकी रक्षा की थी और देवी सीता के दोनों पुत्रों लव और कुश को ज्ञान भी प्रदान किया था।

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