वन महोत्सव 2023 निबंध, स्पीच, कविता, वृक्षारोपण, पौधारोपण :- वन महोत्सव के बारे में शायद ही आप में से कुछ लोग जानते हो। वन महोत्सव क्या है और यह कब मनाया जाता है। इसके बारे में सारी जानकारी आपको इस पोस्ट में दी जाएगी। वन महत्सव को सेलिब्रेट करने का मकसद लोगों को वन यानि की जंगलो के होने का महत्व समझाना और उन्हें खत्म नहीं करने के लिए जागरूक करना है। वनों के खात्मे से पृथ्वी में असंतुलन पैदा होगा और जिसका खामियाजा इस धरती पर रहने वाले हर एक को भुगतना होगा। पहला वन महोत्सव साल 1960 में मनाया गया था और तब से लेकर हर साल यह महोत्सव बड़ी उत्साह के साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाता है। वन महोत्सव पर निबंध भी लिखने के लिए आ जाता है। जिसे आप इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आसानी से लिख सकेंगे।
वन महोत्सव स्पीच
वन महोत्सव को मनाए जाने के पीछे सबसे बड़ा उद्देश्य हर एक इंसान को वनों के प्रति जागरूक करना और उनके महत्व को समझाना है। वनों के होने से धरती पर संतुलन बना रहता है। लेकिन आज के दौर में बढ़ती हुई आबादी की वजह से वनों का क्षेत्र काफी कम होता जा रहा है। जो एक चिंता का विषय है। विकास और प्रगति के आगे इंसान वनों को खत्म करने पर तुले हुए है। लेकिन वह यह नहीं जानते की वनों का खात्मा उनका ही विनाश कर बैठेगा।
वन महोत्सव 2023 निबंध
हम लोग अपने जीवन में कई प्रकार से उत्सव मनाते हैं । पारिवारिक सामाजिक धार्मिक एवं राष्ट्रीय उत्सवों में लोग बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं । परंतु वन महोत्सव इस सबसे बढ़कर ऐसा उत्सव है जो हमारे जीवन को सच्चा सुख प्रदान करता है ।
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यह महोत्सव हमें प्रकृति से जोड़ता है । यह हमें याद दिलाता है कि हे मानव, वनों के बिना तेरा कल्याण नहीं है । वन समस्त प्राणी जगत् के उत्तम साथी हैं । वृक्षों का समूह जो कि वन कहलाता है हमारे जीवन के आधार हैं । वृक्षों के बदौलत ही हमारी धरती हरी-भरी है । वन, उपवन, बाग-बगीचे पृथ्वी पर जीवन और सौंदर्य के साकार रूप हैं ।
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इनकी रक्षा के लिए प्रयत्न करना आवश्यक है । नए-नए वृक्षों को लगाकर वनों को घना करना वन क्षेत्र बढ़ाना वन महोत्सव का एक अंग है । जब हम वनस्पतियों के अस्तित्व के बारे में सोचते हैं तो असल में हम अपने अस्तित्व के लिए ही सोचते हैं ।
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वृक्ष हमें फल-फूल छाया लकड़ी आदि देते हैं । ये हमें प्राणवायु और जीवनदायी शक्ति देकर हमें उपकृत करते हैं । हमारे देश में वनों के पेड़ों की बेहिसाब कटाई हुई है । वन अपनी प्राकृतिक शोभा खोते जा रहे हैं । यहाँ के कटे पेड़ चीख-चीखकर अपनी दर्दभरी दास्तान बता रहे हैं ।
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दुनियाभर में काफी तेज गति से हो रही पेड़ों की कटाई की वजह से प्रकृति को काफी नुकसान हो रहा है। जिससे कई कही बाढ़ आ रही है तो कही भीषण गर्मी पड़ रही है तो कही पर विशाल सूखा पड़ा है। दुनियाभर में लोग ग्लोबलवार्मिंग का किसी ना किसी रूप में शिकार हो रहे है। जिसका एक कारण वनों की कटाई भी है। हर साल वन महोत्सव को मनाया जाता है और लोगों को पेड़-पौधो के होने के फायदे बताए जाते है। वन महोत्सव में देश और दुनियभर में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में इस बात पर विचार विमर्श किया जाता है की वनों के बचाव के लिए क्या कदम उठाए जा सकते है?
Van Mahotsav Long Essay
बन महोत्सव
अथवा
वृक्षारोपण या वन संरक्षण
अथवा
जीवन में वनो का महत्व
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1.प्रस्तावना:-
भारतवर्ष का मौसम और जलवायु देशों में सर्वश्रेष्ठ है, इसकी प्राकृतिक रमणीयता और हरित वैभव विख्यात है विदेशी पर्यटक यहां की मनोहारी प्राकृतिक सुषमा देखकर मोहित हो जाते हैं|
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2.प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति में वृक्षों की महत्ता:-
हमारे देश की प्राचीन संस्कृति में वृक्षों की पूजा और आराधना की जाती है|तथा नेतृत्व की उपाधि दी जाती है|बच्चों को प्रकृति ने मानव की मूल आवश्यकता से जोड़ा है| किसी ने कहा है कि- वृक्ष ही जल है, जल ही अन्न है,और अन्न ही जीवन है| यदि वृक्ष न होते तो नदी और आसमान ना होते वृक्ष की जड़ों के साथ वर्षा का जल जमीन के भीतर पहुंचता है, वन हमारी सभ्यता और संस्कृतिके रक्षक है|शांति और एकांत की खोज में हमारे ऋषि मुनि वनों में रहते थे, वहां उन्होंने तत्व ज्ञान प्राप्त किया और वह विश्व कल्याण के उपाय भी सोचते, वही गुरुकुल होते थे| जिसमें भावी राजा, दार्शनिक, पंडित आदि शिक्षा ग्रहण करते थे|आयुर्वेद के अनुसार पेड़ पौधों की सहायता से मानव को स्वस्थ एवं दीर्घायु किया जा सकता है| तीव्र गति से जनसंख्या बढ़ने तथा राष्ट्रों के ओद्योगिक विकास कार्यक्रमों के कारण पर्यावरण की समस्या गंभीर हो रही है| प्राकृतिक साधनों के अधिक और अधिक उपयोग से पर्यावरण बिगड़ता जा रहा है|वृक्षों की भारी तादाद में कटाई से जलवायु बदल रही है|ताप की मात्रा बढ़ती जा रही है, नदियों का जल दूषित होता जा रहा है, वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ रही है, इसे भी भावी पीढ़ी के स्वास्थ्य को खतरा है|
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3.वृक्षों की उपासना का प्रचलन:-
वृक्षों के महत्व एवं गौरव को समझते हुए हमारी प्राचीन परंपरा में इनकी आराधना पर बल दिया गया है|पीपल के वृक्ष की पूजा करना, व्रत रखकर उसकी परिक्रमा करना एवं जल अर्पण करना और पीपल को काटना पाप करने के सामान है|यह धारणा वृक्षों की संपत्ति की रक्षा का भाव प्रकट करती है| प्रत्येक हिंदू के आंगन में तुलसी का पौधा अवश्य में देखने को मिलता है| तुलसी पत्र का सेवन प्रसाद में आवश्यक माना गया है| बेल के वृक्ष, फल और बेलपत्र की महिमा इतनी है, कि वह शिवजी पर चढ़ाए जाते हैं| कदम वृक्ष को श्री कृष्ण का प्रिय पेड़ बताया है तथा अशोक के वृक्ष शुभ और मंगल दायक हैं| इन वृक्ष की रक्षा हेतु कहते हैं कि-हरे वृक्षों को काटना पाप है, श्याम के समय किसी वृक्ष के पत्ते तोड़ना मना है वृक्ष सो जाते हैं |यह सब हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक है| जिसमें वृक्षों को ईश्वर स्वरूप, वन को संपदा और वृक्षों को काटने वालों को अपराधी कहा जाता है|
वन महोत्सव कविता
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बन महोत्सव मनाओ
जीवन में खुशियां लाओ
अपनों को जागरुक करो
वृक्षारोपण तुम करो
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बच्चों को जागरुक करो
नौजवानों को जागरुक करो
खुशियों के संग जियो
वृक्षारोपण तुम करो
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अपना विकास तुम करो
लेकिन वनों का नशा ना तुम करो
बन महोत्सव मनाओ
जीवन में खुशियां लाओ
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वन महोत्सव कब मनाया जाता है कृपया इसे बताएं 1 जुलाई या 10 अगस्त