Shiv Navratri 2018: सनातन धर्म में नवरात्री के पर्व को एक प्रमुख संज्ञा दी जाती है| नवरात्री का यह त्यौहार शक्ति और शिव की आराधना के लिए किया जाता है| शक्ति की उपासना के कारण नवरात्री साल में चार बार मनाया जाता है| शिव की उपासना के लिए वर्ष में केवल एक बार मशिवरात्रि से नौ दिन पहले ही शिव नवरात्री का पर्व शुरू हो जाता है| शैव के मुताबिक हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी से त्रयोदशी तक शिव नवरात्री का पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है| बता दें की चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि प् पवन त्यौहार मनाया जाता है|
नवरात्री प्रमुख रूप से द्वादश ज्योतिर्लिंगों और अन्य प्रसिद्ध शिवालयों में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है| महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से सम्बन्ध रखता है| पूरे नौ दिनों तक भगवान शिवजी का अच्छे से श्रृंगार किया जाता है| उन्हें दूल्हे के रूप में अच्छे से सजाया जाता है| शिवजी की उपासना में हल्दी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है| लेकिन विवाह के पूर्व में उन्हें हल्दी का लेप लगाते है| महाशिवरात्रि शिवजी और माता पार्वती के विवाह का कार्यक्रम होता है| यही नहीं मशिवरात्रि के दिन शिवजी की बारात भी निकलती है| विवाह की विधि रात के समय में शुभ काल में पूरी की जाती है|
बता दें की नवरात्री की शुरुआत 5 फरवरी 2018 को हुई थी, इसके पहले दिन महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव को हल्दी, चंदन व केसर से सजा कर चोला और दुपट्टा पहना कर तैयार किया जाता है| शिवनवरात्रि के दौरान भगवान शिव के अलग-अलग रूप दिखाई देते है|
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6 फरवरी को शेषनाग।
7 फरवरी को घटाटोप।
8 फरवरी को छबीना।
9 फरवरी को होलकर।
10 फरवरी को मनमहेश।
11 फरवरी को उमा महेश।
12 फरवरी को शिवतांडव रुप।
13 फरवरी को त्रिकाल रुप। इस दिन रात को भगवान शिव को पूर्ण रुप से तैयार करके फूल और फूलों का मुकुट पहनाया जाता है।