Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Essay, Poem, Speech, Slogan | सरदार पटेल जयंती निबंध, कविता, नारे, स्पीच: आज देशभर में बड़ी ही धूम-धाम के साथ लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाई जा रही है| सरदार पटेल का भारत ने निर्माण में अहम योगदान रहा है| उन्हें भारत की एकता का सूत्रधार कहना गलत नहीं होगा| एक सरदार पटेल ही थे जिनकी बदौतलत देश की 500 से अधिक रियासतें भारत में विलय के लिए राजी हुई| सरदार पटेल की जयंती निबंध, कविता, नारे, स्लोगन, पोस्टर, स्पीच नीचे शेयर किये जा रहे है| सरदार पटेल का योगदान भारत के निर्माण में कैसा था| स्कूल, कॉलेज और प्रतियोगी परीक्षा में सरदार पटेल के बारे में निबंध और कई कार्यक्रम में स्पीच भी दी जाती रही है| ये पोस्ट सरदार पटेल के बारे में जानने में पूरी मदद करेगी|
सरदार पटेल जयंती निबंध
सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में भी मनाया जाता है| राष्ट्रिय एकता से तात्पर्य देश की एकता से है और सरदार पटेल जी ने 500 से अधिक देसी रियासतों को एकता के एक सूत्र में बांधने का काम किया था और आज उनकी बदौतलत ही भारत में आज ये सभी रियासतें मिली| सरदार पटेल जी से हम सभी को काफी कुछ सीखने को मिलता है| उन्होंने वो काम कर करके दिखाया है जो लगभग असंभव था| अलग भाषा, अलग रीति-रिवाज, अलग पहनावे, अलग सोच वाली रियासतों को भारत में विलय के लिए राजी करना कोई छोटी बात नहीं है|
Sardar Vallabhbhai Patel Nibandh
सरदार पटेल एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा आजाद भारत के पहले गृहमंत्री थे। स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका महत्वपूर्ण योगदान था, जिसके कारण उन्हें भारत का लौह पुरुष भी कहा जाता है। 31 अक्टूबर 1875 गुजरात के नाडियाद में सरदार पटेल का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। उन के पिता का नाम झवेरभाई और माता का नाम लाडबा देवी था। सरदार पटेल अपने तीन भाई बहनों में सबसे छोटे और चौथे नंबर पर थे।
शिक्षा : सरदार वल्लभ भाई पटेल की शिक्षा का प्रमुख स्त्रोत स्वाध्याय था। उन्होंने लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई की और उसके बाद पुन: भारत आकर अहमदाबाद में वकालत शुरू की।
स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी : सरदार पटेल ने माहात्मा गांधी से प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। सरदार पटेल द्वारा इस लड़ाई में अपना पहला योगदान खेड़ा संघर्ष में दिया गया, जब खेड़ा क्षेत्र सूखे की चपेट में था और वहां के किसानों ने अंग्रेज सरकार से कर में छूट देने की मांग की। जब अंग्रेज सरकार ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया, तो सरदार पटेल, महात्मा गांधी और अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हें कर न देने के लिए प्ररित किया। अंत में सरकार को झुकना पड़ा और किसानों को कर में राहत दे दी गई।
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Sardar Vallabhbhai Patel Essay in Hindi
सरदार पटेल नाम यूं पड़ा : सरदार पटेल को सरदार नाम, बारडोली सत्याग्रह के बाद मिला, जब बारडोली कस्बे में सशक्त सत्याग्रह करने के लिए उन्हें पह ले बारडोली का सरदार कहा गया। बाद में सरदार उनके नाम के साथ ही जुड़ गया।
योगदान : आजादी के बाद ज्यादातर प्रांतीय समितियां सरदार पटेल के पक्ष में थीं। गांधी जी की इच्छा थी, इसलिए सरदार पटेल ने खुद को प्रधानमंत्री पद की दौड़ से दूर रखा और जवाहर लाल नेहरू को समर्थन दिया। बाद में उन्हें उपप्रधानमंत्री और ग्रहमंत्री का पद सौंपा गया, जिसके बाद उनकी पहली प्राथमिकता देसी रियासतों तो भारत में शामिल करना था। इस कार्य को उन्होंने बगैर किसी बड़े लड़ाई झगड़े के बखूबी किया। परंतु हैदराबाद के ऑपरेशन पोलो के लिए सेना भेजनी पड़ी। चूंकि भारत के एकीकरण में सरदार पटेल का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण था, इसलिए उन्हें भारत का लौह पुरूष कहा गया। 15 दिसंबर 1950 को भारत का उनकी मृत्यु हो गई और यह लौह पुरूष दुनिया को अलविदा कह गया।
सरदार पटेल जयंती कविता
देश भक्ति थी जिसके रग में.
सबल बने, भारत इस जग में.
एकीकरण के स्वप्न को जिसने.
यथार्थ में बदल दिया, भुजबल से.
भारत के सरदार देश के लाल
शत- शत नमन तुम्हे है !!नडियाद के वीर, भारतरत्न.
बारडोली सत्याग्रह के सरदार.
जिसके समक्ष हरा निज़ाम.
जिसके समक्ष हरा निज़ाम.
आताताइयों का झूठा स्वाभिमान.
भारत के सरदार देश के लाल
शत- शत नमन तुम्हे है !!
Sardar Vallabhbhai Patel Poem in Hindi
हर वर्ष, राष्ट्रीय त्योहारों के अवसर पर,
दूरदर्शन आकाशवाणी से,
प्रथम प्रधान मंत्री नेहरू का,
गुणगान सुन –
मैं भी चाहता हूं,
उनकी जयकार करूं,
राष्ट्र पर उनके उपकार,
मैं भी स्वीकार करूं।
लेकिन याद आता है तत्क्षण,
मां का विभाजन,
तिब्बत समर्पण,
चीनी अपमान,
कश्मीर का तर्पण –
भृकुटि तन जाती है,
मुट्ठी भिंच जाती है।
विद्यालय के भोले बच्चे,
हाथों में कागज का तिरंगा ले,
डोल रहे,
इन्दिरा गांधी की जय बोल रहे।
मैं फिर चाहता हूं,
उस पाक मान मर्दिनी का
स्मरण कर,
प्रशस्ति गान गाऊं।
पर तभी याद आता है –
पिचहत्तर का आपात्काल,
स्वतंत्र भारत में
फिर हुआ था एक बार,
परतंत्रता का भान।
याद कर तानाशाही,
जीभ तालू से चिपक जाती है,
सांस जहां कि तहां रुक जाती है।
युवा शक्ति की जयघोष के साथ,
नारे लग रहे –
राहुल नेतृत्व लो,
सोनिया जी ज़िन्दाबाद;
राजीव जी अमर रहें।
चाहता हूं,
अपने हम उम्र पूर्व प्रधान मंत्री को,
स्मरण कर गौरवान्वित हो जाऊं,
भीड़ में, मैं भी खो जाऊं।
तभी तिरंगे की सलामी में
सुनाई पड़ती है गर्जना,
बोफोर्स के तोप की,
चर्चा २-जी घोटाले की।
चाल रुक जाती है,
गर्दन झुक जाती है।
आकाशवाणी, दूरदर्शन,
सिग्नल को सीले हैं,
पता नहीं –
किस-किस से मिले हैं।
दो स्कूली बच्चे चर्चा में मगन हैं,
सरदार पटेल कोई नेता थे,
या कि अभिनेता थे?
मैं भी सोचता हूं –
उनका कोई एक दुर्गुण याद कर,
दृष्टि को फेर लूं,
होठों को सी लूं।
पर यह क्या?
कलियुग के योग्य,
इस छोटे प्रयास में,
लौह पुरुष की प्रतिमा,
ऊंची,
और ऊंची हुई जाती है।
आंखें आकाश में टिक जाती हैं –
पर ऊंचाई माप नहीं पाती हैं।
Sardar vallabhbhai patel par kavita
कर्मवीर, धर्मवीर, कूटनीति.
निर्भीक,सरल, सहेज वेशभूषा.
दूरदर्शिता, मानवता के हिमायती.
अहिंसा,क्रांति, आज़ादी के सेनानी.
भारत के सरदार देश के लाल
शत- शत नमन तुम्हे है |
सरदार वल्लभ भाई पटेल जयंती स्पीच
आज सरदार वल्ल्भा भाई पटेल की जयंती है| इस अवसर पर देश के अलग-अलग हिस्सों में कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है| इन कार्यक्रमों का उद्देश्य भावी पीढ़ी को सरदार पटेल के देश निर्माण में योगदान के बारे बताना है| राजनेता सरदार पटेल जयंती पर बड़े-बड़े भाषण देते ताकि लोगों तक सरदार पटेल जी कार्य और उनके देश की आजादी में दिए योगदान और उनके विचारों पर चलने के लिए प्रेरित भी किया जाता है|
Sardar Vallabhbhai Patel Speech in Hindi
562 रियासतों का एकीकरण करने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड में उनके ननिहाल में हुआ. वे खेड़ा जिले के कारमसद में रहने वाले झावेर भाई पटेल की चौथी संतान थे. उनकी माता का नाम लाडबा पटेल था. उन्होंने प्राइमरी शिक्षा कारमसद में ही प्राप्त की. बचपन से ही उनके परिवार ने उनकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया.
1893 में 16 साल की आयु में ही उनका विवाह झावेरबा के साथ कर दिया गया था. उन्होंने अपने विवाह को अपनी पढ़ाई के रास्ते में नहीं आने दिया. 1897 में 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की. 1900 में ज़िला अधिवक्ता की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, जिससे उन्हें वकालत करने की अनुमति मिली. गोधरा में वकालत की प्रेक्टिस शुरू कर दी. जहाँ इन्होने प्लेग की महामारी से पीड़ित कोर्ट ऑफिशियल की बहुत सेवा की.
Sardar Patel Par Bhashan
1902 में इन्होने वकालत काम बोरसद सिफ्ट कर लिया, क्रिमिनल लॉयर रूप नाम कमाया. अपनी वकालत के दौरान उन्होंने कई बार ऐसे केस लड़े जिसे दूसरे निरस और हारा हुए मानते थे. उनकी प्रभावशाली वकालत का ही कमाल था कि उनकी प्रसिद्धी दिनों-दिन बढ़ती चली गई. गम्भीर और शालीन पटेल अपने उच्चस्तरीय तौर-तरीक़ों लिए भी जाने जाते थे. यंही उनके पुत्री मणिबेन का 1904 व पुत्र दह्या का 1905 में जन्म हुआ. बेरिस्टर कोर्स करने के लिए पैसों की बचत करली थी परन्तु बड़े भाई विठलभाई की इच्छा पूरी करने के लिए उनहोंने खुद न जाकर 1905 में उन्हें इग्लैंड भेज दिया.
सरदार पटेल अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी, समर्पण व हिम्मत से साथ पूरा करते थे.
सरदार पटेल जयंती नारे
अविश्वास भय का कारण होता है|
जो लोग तलवार चलाना जानने के बाद भी अपनी तलवार को म्यान में रखते है उसे ही सही अर्थो में सच्ची अहिंसा कहते है |
जबतक हमारा अंतिम ध्येय प्राप्त न हो तब तक हमे कष्ट सहने की शक्ति हमारे अंदर आती रहे यही हमारी सच्ची विजय है |
Slogan on Sardar Vallabhbhai Patel
बोलते समय कभी भी मर्यादा का साथ नही छोड़ना चाहिए, गालिया देना तो बुजदिलो की निशानी है |
अब हमे उचनीच, अमीर-गरीब और जाति प्रथा के भेदभावो को समाप्त कर देना चाहिए |
हमारे देश में अनेक धर्म, अनेक भाषाए भी है लेकिन हमारी संस्कृति एक ही है |
उम्मीद करते है की आपको Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Essay, Poem, Speech, Slogan | सरदार पटेल जयंती निबंध, कविता, नारे, स्पीच वाली यह पोस्ट पसंद आई होगी। इस आर्टिकल को सोशल मीडिया पर शेयर करना ना भूलें।