मुहर्रम शायरी 2019, Muharram Shayari in Hindi, Urdu, Egnlish for Whatsapp & Facebook मुहर्रम इस्लामिक धर्म का पवित्र पर्व है। इस पर्व के साथ ही इस्लामिक वर्ष की शुरुआत भी हो जाती है। मुहर्रम के त्यौहार को हर साल पूरी दुनिया में मौजूद इस्लामिक अनुयाई बेहद ही खूबसूरत तरीके से मनाते। है मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है। इस्लामी समुदाय इस महीने को सबसे व्यस्त महीने मानता है। मुहर्रम का त्यौहार वर्ष का प्रारम्भ इसलया है क्योंकि इस्लाम का कैलेंडर चंद्र कैलेंडर है। सुन्नी मुस्लिम समुदाय मुहर्रम के दसवें दिन है, जिसे अशूरा का दिन कहा जाता है। त्यौहार के दौरान, शिया मुसलमान विभिन्न इरादों के साथ विभिन्न रीती रिवाज़ निभाते हैं। मुहर्रम के इस मौके पर अपने मुस्लिम भाई के साथ मुहर्रम शायरी शेयर कर इस दिन को अच्छे से सेलिब्रेट कर सकते है।
Muharram Shayari in Hindi, Urdu
मुहर्रम के आने के साथ ही इस्लामी महीने की शुरुआत भी जाती है। इस पर्व के साथ ही इस्लाम धर्म के नए साल की शुरुआत हो जाती है। लेकिन 10वें मुहर्रम को हजरत इमाम हुसैन की याद में मुस्लिम मातम मनाते हैं. मान्यता है कि इस महीने की 10 तारीख को इमाम हुसैन की शहादत हुई थी, जिसके चलते इस दिन को रोज-ए-आशुरा (Roz-e-Ashura) कहते हैं. मुहर्रम का यह सबसे अहम दिन माना गया है. इस दिन जुलूस निकालकर हुसैन की शहादत को याद किया जाता है. 10वें मुहर्रम पर रोज़ा रखने की भी परंपरा है।
“सलाम या हुसैन…
अपनी तकदीर जगाते हैं तेरे मातम से,
खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से,
अपने इज़हार-ए-अकीदत का सलीका ये है,
हम नया साल मनाते हैं तेरे मातम से.”
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“वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया..
घर का घर सुपर्द-ए-खुदा कर दिया..
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम..
उस हुसैन इब्ने-अली पर लाखों सलाम…”
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“सजदे से करबला को बंदगी मिल गयी…
सब्र से उम्मत को ज़िन्दगी मिल गयी…
एक चमन फातिमा का उजड़ा,
मगर सारे इस्लाम को ज़िन्दगी मिल गयी…”
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“यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का,
कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का,
सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली,
महँगा पड़ा याजिद को सौदा हुसैन का.”
मुहर्रम शायरी 2019
“करबला को करबला के शहंशाह पर नाज है,
उस नवासे पर मोहम्मद को नाज़ है,
यूँ तो लाखों सर झुके सजदे में लेकिन
हुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज़ है.”
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“इमाम का हौसला इस्लाम जगा गया,
अल्लाह के लिए उसका फ़र्ज़ आवाम को धर्म सिखा गया.”
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“करबला की उस जमीन पर खून बहा,
कत्त्लेआम का मंजर सजा,
दर्द और दुखों से भरा था जहाँ,
लेकिन फौलादी हौसलों को शहीद का नाम मिला.”
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“दिन रोता है रात रोती है,
दिन रोता है रात रोती है..
हर मोमिन की जात रोती है,
जब भी आता है मुहर्रम का महिना,
खुदा की कसम ग़म-ए-हुसैन,
सारी कायनात रोती है…”
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हमारी तरफ से आप सभी को मुहर्रम का त्यौहार मुकबारक़ हो। उम्मीद करते है की आपको मुहर्रम शायरी वाला यह आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा। किसी भी त्यौहार से जुड़ी जानकारी के लिए साइट के होम पर विजिट करें।