Hartalika Teej 2019 Date & Time : हरतालिका तीज 2019 शुभ मुहूर्त, व्रत कथा, पूजा विधि, महत्व हरतालिका तीज का त्यौहार हिन्दू धर्म की विवाहित महिलाओं के द्वारा बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है| इस साल हरतालिका तीज का त्यौहार 1 सितंबर को देशभर में हिन्दू धर्म के लोग के द्वारा मनाया जाएगा| इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए और कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की कामना के लिए व्रत करती है| हरतालिका तीज का त्यौहार बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में विशेष रूप से मनाया जाता है| वही दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश इसे गौरी हब्बा के व्रत के नाम से मनाया जाता है|
हरतालिका तीज 2019 तिथि
हरतालिका तीज का त्यौहार हर साल हिन्दू कैलेंडर के मुताबक मनाया जाता है| साल 2019 में हरतालिका तीज का त्यौहार हिन्दू धर्म के मुताबिक भाद्रपद यानि की भादो माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाएगा| इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार यह डेट 1 सितंबर है|
हरतालिका तीज 2019 शुभ मुहूर्त
हरतालिका तीज की तिथि और शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि प्रारंभ: 01 सितंबर 2019 को सुबह 08 बजकर 27 मिनट से.
तृतीया तिथि समाप्त: 02 सितंबर 2019 को सुबह 4 बजकर 57 मिनट तक.
अगर आप 01 सितंबर को व्रत कर रही हैं तो पूजा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
प्रात: काल हरतालिका पूजा मुहूर्त: सुबह 08 बजकर 27 मिनट से सुबह 08 बजकर 35 मिनट तक.
अगर आप 02 सितंबर को व्रत कर रही हैं तो सूर्योदय होने के बाद दो घंटे के भीतर तीज पूजन कर लें. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सूर्योदय से सुबह 08 बजकर 58 मिनट तक है.
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हरतालिका तीज क्यों मनाई जाती है? (महत्व)
हिन्दू धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है| हरतालिका तीज दो शब्दों से मिलकर बना है- हरत और आलिका| हरत है अर्थ है ‘अपहरण’ और आलिका का मतलब है ‘सहेली’ ऐसी मान्यता है की माता पार्वती की सहेली उन्हें घने जंगल में ले जाकर छुपा देती थी, वह ऐसा इसलिए करती थी ताकि माँ पार्वती के पिता भगवान विष्णु उनकी शादी ना करवा सके| इस पर्व को लेकर मुख्य तौर से सुहागिन महिलाओं में विशेष आस्था है| इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है| ऐसी मान्यता है की भगवान शिव और माँ पार्वती विवाहित महिलाओं को सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद देते है और कुंवारी लड़कियों को अच्छा वर मिलने का आशीर्वाद देते है|
हरतालिका तीज पूजा विधि
हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष काल यानी कि दिन-रात के मिलने का समय. हरतालिका तीज के दिन इस प्रकार शिव-पार्वती की पूजा की जाती है:
– संध्या के समय फिर से स्नान कर साफ और सुंदर वस्त्र धारण करें. इस दिन सुहागिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं.
– इसके बाद गीली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा बनाएं.
– दूध, दही, चीनी, शहद और घी से पंचामृत बनाएं.
– सुहाग की सामग्री को अच्छी तरह सजाकर मां पार्वती को अर्पित करें.
– शिवजी को वस्त्र अर्पित करें.
– अब हरतालिका व्रत की कथा सुनें.
– इसके बाद सबसे पहले गणेश जी और फिर शिवजी व माता पार्वती की आरती उतारें.
– अब भगवान की परिक्रमा करें.
– रात को जागरण करें. सुबह स्नान करने के बाद माता पार्वती का पूजन करें और उन्हें सिंदूर चढ़ाएं.
– फिर ककड़ी और हल्वे का भोग लगाएं. भोग लगाने के बाद ककड़ी खाकर व्रत का पारण करें.
– सभी पूजन सामग्री को एकत्र कर किसी सुहागिन महिला को दान दें.
हरतालिका तीज की पूजा सामग्री
हरतालिका व्रत से एक दिन पहले ही पूजा की सामग्री जुटा लें: गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनेऊ, वस्त्र, मौसमी फल-फूल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध और शहद.
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मां पार्वती की सुहाग सामग्री: मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, सुहाग पिटारी.