नमस्ते दोस्तो आज हम आपको बताने वाले हैं कि आखिकार दीपावली का त्योहार क्यों मनाया जाता है। आपको बता दें कि इस त्योहार के पीछे काफी सारी मान्यताये और पौराणिक कथाएं है जिसके कारण इसे अलग अलग हिस्सों में अलग अलग तरीको से मनाया जाता है। तो चलिए अब जानते हैं कि आखिरकार दीपावली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है। अगर आपको पता है कि दीपावली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है तो यह एक अच्छी बात है वरना आप हमारे इस आर्टिकल को आखिरी तक पढ़ सकते हैं। आपको बता दें कि हमारे वेबसाइट पर आपको दीपावली से जुड़े और भी आर्टिकल देखने को मिल सकते हैं।
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ऐसा बोला जाता हैं कि जब भगवान श्री राम रावण को हराकर और 14 साल का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे तो वहाँ के नगरवासियों ने पूरी अयोध्या को राम जी के लौटने की खुशी में रोशनी से सजा दिया था। आपको बता दें कि इसके बाद से ही देश भर में दीपावली का चलन शुरू हो गया था।ऐसी और भी काफी सारी कहानियां है जिसके बारे में अब हम आपको बताने वाले हैं।
हमारी दूसरी कहानी के अनुसार जब भगवान विष्णु ने नरसिंह का रूप धारण करके हिरण्यकश्यप का वध किया था। ऐसे दैत्यराज की मृतु पर प्रजा ने घी के दिये जलाकर दीपावली का त्यौहार मनाया था। हमारी तीसरी कहानी यह है कि भगवान श्री कृष्ण ने दीपावली से एक दिन पहले नरकासुर का वध किया था। इस खुशी में अगले दिन अमावस्या को गोकुलवासियों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थी। एक कहानी यह भी है कि शक्ति ने महाकाली का रूप धारण करके राक्षसों का अंत कर दिया। इसके बाद भी क्रोध कम ना होने पर भगवान शिव खुद उनके चरणों मे लेट गए थे। आपको बता दें कि भगवान शिव के मात्र शरीर स्पर्श से ही महाकाली शांत हो गई थी। इसी कारण लष्मी माँ की पूजा भी करी जाती है।
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आपको बता दें कि दीपावली वाले दिन ही माँ लष्मी दूध के सागर से उत्पन हुई थी और इसे केसर सागर के नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ साथ समुद्र मंथन से भी आरोग्यदेव धन्वंतरि और भगवान कुबेर भी प्रकट हुए थे। दोस्तो आशा करते हैं कि आपको आज की दीपावली से जुड़ी सभी पौराणिक कथाएं काफी ज्यादा पसंद आई होगी। आपको कौन सी पसंद आई है कमेंट बॉक्स की मदद से साझा करें। इसके साथ साथ हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए धन्यवाद।