नमस्कार दोस्तों, मनोरंजन जगत से बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है। जी हां दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सोशल मीडिया पर आदिपुरुष’ के डायलॉग को लेकर मेकर्स को काफी अधिक ट्रोल किया जा रहा है, फिल्म के डायलॉग को घटिया और टपोरी लैंग्वेज वाले बताए जा रहे हैं। इसके बाद लेखक मनोज मुंतशिर और निर्देशक ओम राउत ने टीवी इंटरव्यू में सफाई भी दी। लेकिन इसके बावजूद फिल्म का काफी अधिक विरोध किया जा रहा है। इसी बीच मनोज मुंतशिर अपने ऑफिशल सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्ट शेयर की है। तो चलिए जानते हैं आखिरकार उन्होंने अपने पोस्ट में क्या कहा है ?
Adipurush Dialogue Change After Controversy
आपकी जानकारी के लिए बता दे की मनोज मुंतशिर ने अपने ऑफिसर सोशल मीडिया हैंडल से ट्वीट करते हुए आश्वासन दिया कि कुछ डायलॉग्स को हटाए जाएंगे। आदिपुरुष फिल्म के मेकर्स और टीम ने लोगों की प्रतिक्रियाओं को देखते हुए यह फैसला लिया है। मनोज का कहना है कि जल्दी ही फिल्म के डायलॉग को बदल दिया जाएगा।
आदिपुरुष मेकर्स ने विवाद के बाद फिल्म के डायलॉग बदलने का फैसला लिया, मनोज मुंतशिर कहीं यह बातें!
रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है, वो है हर भावना का सम्मान करना। सही या ग़लत, समय के अनुसार बदल जाता है, भावना रह जाती है। आदिपुरुष में 4000 से भी ज़्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, 5 पंक्तियों पर कुछ भावनाएँ आहत हुईं। उन सैकड़ों पंक्तियों में जहाँ श्री राम का यशगान किया, माँ सीता के सतीत्व का वर्णन किया, उनके लिए प्रशंसा भी मिलनी थी, जो पता नहीं क्यों मिली नहीं। मेरे ही भाइयों ने मेरे लिये सोशल मीडिया पर अशोभनीय शब्द लिखे। वही मेरे अपने, जिनकी पूज्य माताओं के लिए मैंने टीवी पर अनेकों बार कवितायें पढ़ीं, उन्होंने मेरी ही माँ को अभद्र शब्दों से संबोधित किया।
मैं सोचता रहा, मतभेद तो हो सकता है, लेकिन मेरे भाइयों में अचानक इतनी कड़वाहट कहाँ से आ गई कि वो श्री राम का दर्शन भूल गये जो हर माँ को अपनी माँ मानते थे। शबरी के चरणों में ऐसे बैठे, जैसे कौशल्या के चरणों में बैठे हों, हो सकता है, 3 घंटे की फ़िल्म में मैंने 3 मिनट कुछ आपकी कल्पना से अलग लिख दिया हो, लेकिन आपने मेरे मस्तक पर सनातन-द्रोही लिखने में इतनी जल्दबाज़ी क्यों की, मैं जान नहीं पाया। क्या आपने ‘जय श्री राम’ गीत नहीं सुना,
- ‘शिवोहम’ नहीं सुना,
- ‘राम सिया राम’ नहीं सुना?
आदिपुरुष में सनातन की ये स्तुतियाँ भी तो मेरी ही लेखनी से जन्मी हैं। ‘तेरी मिट्टी’ और ‘देश मेरे ’भी तो मैंने ही लिखा है। मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है, आप मेरे अपने थे, हैं और रहेंगे.
हम एक दूसरे के विरुद्ध खड़े हो गये तो सनातन हार जायेगा।
हमने आदिपुरुष सनातन सेवा के लिए बनायी है, जो आप भारी संख्या में देख रहे हैं और मुझे विश्वास है आगे भी देखेंगे।
ये पोस्ट क्यों?
क्योंकि मेरे लिये आपकी भावना से बढ़ के और कुछ नहीं है। मैं अपने संवादों के पक्ष में अनगिनत तर्क दे सकता हूँ, लेकिन इस से आपकी पीड़ा कम नहीं होगी। मैंने और फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक ने निर्णय लिया है, कि वो कुछ संवाद जो आपको आहत कर रहे हैं, हम उन्हें संशोधित करेंगे, और इसी सप्ताह वो फ़िल्म में शामिल किए जाएँगे।
श्री राम आप सब पर कृपा करें! #Adipurush #JaiShreeRam
रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है, वो है हर भावना का सम्मान करना.
सही या ग़लत, समय के अनुसार बदल जाता है, भावना रह जाती है.
आदिपुरुष में 4000 से भी ज़्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, 5 पंक्तियों पर कुछ भावनाएँ आहत हुईं.
उन सैकड़ों पंक्तियों में जहाँ श्री राम का यशगान…— Manoj Muntashir Shukla (@manojmuntashir) June 18, 2023