दोस्तो आज हम आपको बताना चाहते हैं कि अथिति देवो भव का मतलब क्या होता है। आपने काफी सारे लोगो से अथिति देवो भव जरूर सुना होगा, लेकिन इसका सही मतलब बहुत ही कम लोग जानते हैं। अगर हम सरल भाषा में बात करे तो अथिति देवो भव का मतलब होता है कि अथिति भगवान समान होता हैं। यानी कि हमारे घर मे या हमारे शहर में कोई भी नया मेहमान आया है तो वो हमारे लिए भगवान समान होता है। भगवान की सेवा करना हमारा फर्ज होता है। ये हमारी जिम्मेदारी है कि मेहमान को कोई तकलीफ ना हो।
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अतिथि देवो भव का मतलब क्या होता है?
यह रिवाज राजा महाराजा के जमाने से चला आ रहा है। पुराने समय में जब कोई मेहमान आता था तो उसका ध्यान अच्छे से रखा जाता था। ध्यान दिया जाता था कि मेहमान को कोई परेशानी नही होनी चाहिए। मेहमान नवाजी के लिए काफी सारे नौकर चाकर को रखा जाता था। पानी से लेकर पकवान तक सब कुछ दिया जाता था। जब मेहमान जाता था तो उसे सोने के सिक्के दिए जाते थे।
टूर ट्रेवल कंपनी में इसका प्रयोग कैसे करते हैं ?
जब भी कोई विदेशी मेहमान हमारे देश मे आता है तो उसे हाथ जोड़कर नमस्कार किया जाता है। इसके साथ मे सम्मान के साथ में माला पहनाई जाती है। एक आदमी उनकी सेवा में हमेशा हाजिर रहता है। 5 स्टार होटल में जब कोई आता है तो दरवाजे पर एक आदमी सलाम करने के लिए हमेशा खड़ा रहता है। ऐसी अच्छी सेवा मिलने पर पर्यटक हमारे देश मे हर बार आना पसंद करते हैं।
अतिथि का क्या कर्तव्य होना चाहिए?
अतिथि के भी कुछ कर्तव्य होने चाहिए। अतिथि को भी दूसरे देश के लोगो का सम्मान करना चाहिए। देश को किसी प्रकार का नुकसान नही पहुचना चाहिए। हमेशा देश को साफ रखना चाहिए और नियम कानून का पालन करना चाहिए।
Conclusion
आज आपको बताया गया है कि अतिथि देवो भव का मतलब क्या होना चाहिए। यह रिवाज कब से चला आ रहा है। अतिथि के देश को लेकर क्या कर्तव्य होने चाहिए।
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