नमस्कार दोस्तों, आज हम बात करने वाले है, मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) के बारे में, जैसा की आप सभी को मालूम ही है सिल्वर मेडल वेटलिफ्टिंग में मीराबाई ने जीता है। मीराबाई चानू नाम अपने कई बार सुना होगा, तो आज हम इन्ही के बारे में जानने वाले है की कौन है ये ? कहां से बिलॉन्ग करती है ? किस चीज से इनको इंस्पिरेशन मिलती है ?, क्यों इन्होने वेटलिफ्टिंग को चुनाव?, क्या वह शुरुआत से ही वेटलिफ्टिंग में जाना चाहती थी?, इन सभी सवालों के जवाब आज आपको इस लेख में जानने को मिलने वाले है। अगर अपने हमारी वेब साइट को अभी तक बुकमार्क नहीं किया है तो कर लीजिए।
Tokyo Olympics 2020: Mirabai Chanu ने Silver जीत रचा इतिहास, Weightlifting में India को पहला पदक
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) टोक्यो ओलंपिक 2020 में वेटलिफ्टर के तोर पर देश का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र खिलाड़ी है। चानू सैखोम मीराबाई पांचवी इंडिविजुअल सिल्वर मेडलिस्ट भारतीय खिलाड़ी हैं इंडिया 49 किलोग्राम वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल जीता है।
चानू सैखोम मीराबाई कौन है ? Chanu Saikhom Mirabai Kaun Hai?
मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) का जन्म सुदूर मणिपुर में हुआ था, मीराबाई बचपन से ही तीरंदाजी में अपना करियर बनाना चाहती थी, लेकिन आठवीं कक्षा में उन्होंने वेटलिफ्टिंग में अपना करियर बनाने का सोचा। इम्फाल की वेटलिफ्टर कुंजरानी को प्रेरणा मान कर ही चानू को भी वेटलिफ्टिंग में दिलचस्पी हुई थी। वेटलिफ्टिंग के क्षेत्र में 26 वर्षीय एक स्टार है और देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रतन अवार्ड और देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान, पद्मश्री से सम्मानित है। टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए कोटा हासिल करने की प्रमुख स्थान पर है।
पूर्व विश्व चैंपियन वेटलिफ्टर और खेल रतन पुरस्कार से सम्मानित मीराबाई चानू को अर्जुन पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है। पूर्व विश्व चैंपियन वेटलिफ्टर और खेल रतन पुरस्कार से सम्मानित मीराबाई चानू को अर्जुन पुरस्कार के लिए नामित किया गया है।
तीरंदाजी को छोड़ वेटलिफ्टिंग से हुआ लगाव
जैसे कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं चानू सैखोम मीराबाई (Chanu Saikhom Mirabai) मणिपुर के इम्फाल की रहने वाली है। छोटी उम्र से ही चानू की शारीरिक ताकत उनके परिजनों और दोस्तों को दिखाई देने लगी थी। मात्र 12 साल की उम्र में जलाने के लिए लकड़ी के बड़े-बड़े गड्ढों को लेकर आती थी, जो केवल उस समय उसका बड़ा भाई ही ले जा सकता था। चानू बचपन से ही खेलों में काफी रुचि रखा करती थी। बचपन से ही चानू तीरंदाजी करना चाहती थी, लेकिन किस्मत उन्हें और कही ले गई और वह आज वेटलिफ्टिंग कर रही है।
चानू सैखोम मीराबाई एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वह पास के ही एक तीरंदाजी केंद्र में एडमिशन के लिए गई, तो उन्हें वह बंद मिला और तभी उन्होंने नज़दीक में कुछ खिलाड़ियों को वेटलिफ्टिंग करते हुए देखा, और तभी से चानू की तीरंदाजी में रुचि खत्म हो गई और वेटलिफ्टिंग में रुचि बढ़ गई।
भारतीय वेटलिफ्टर ने पिछले साल इंस्टाग्राम पर लाइव आकर खुलासा किया था कि ” मैं बचपन से ही खिलाड़ी बनना चाहती थी, हकीकत मैं एक तीरंदाज बनना चाहती थी, जिस दिन मैं दाखिला लेने गई, तो तीरंदाजी एकेडमी बंद मिली, सहयोग से मुझे कुछ वेटलिफ्टिंग का अभ्यास देखने का मौका मिल गया, और 14 साल की उम्र में मुझे उससे लगाव हो गया, घर पर जाते जाते हैं मैंने बहुत सोच विचार किया और वेटलिफ्टिंग को चुन लिया।
कुंजारानी देवी से प्रेरित
वेटलिफ्टिंग को खेल के रूप में छोड़ने के बाद जानू ने कुंजारानी देवी (Kunjarani Devi) के बारे में जाना। अगर आपको नहीं मालूम तो आपकी जानकारी के लिए बता दे की कुंजारानी देवी भारतीय भारोत्तोलन में सबसे बड़े नामों में से एक है। एक छोटे से गांव से निकलकर बड़ा नाम कमाने वाली कुंजारानी देवी की कहानी ने चानू को काफी प्रभावित किया, और बाद में चानू ने कुंजारानी से ही परीक्षण लिया।
वेटलिफ्टिंग के शुरुआती दिनों में चानू लिए कुछ आसान नहीं था, उन्होंने वेटलिफ्टिंग में अपने परिवार के सामान्य विरोध के अलावा परीक्षण और अभ्यास में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लेकिन चानू अपने फैसले पर अड़ी रही, और साल 2011 में जूनियर वर्ग में राष्ट्रपति जीता, और इसके बाद वह एक के बाद एक सफलता हासिल करती चली गई।
Chanu Saikhom Mirabai Wiki/Bio in Hindi ?
व्यक्तिगत जानकारी |
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राष्ट्रीयता | भारतीय |
जन्म | 8 अगस्त 1994 इम्फाल पूर्व, मणिपुर, भारत |
निवास | मणिपुर, भारत |
कद | 1.50 मीटर |
वज़न | 48 किलो |
खेल |
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देश | भारत |
खेल | भारोत्तोलन |
प्रतिस्पर्धा | 48 किग्रा |
कोच | कुंजरानी देवी |
उपलब्धियाँ एवं खिताब |
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ओलम्पिक फाइनल | सिल्वर (टोक्यो 2021) |