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मोदी सरकार की नीति से रद्द हुई एमबीए-इंजीनियरिंग की डिग्रियां, लाखो युवा हुए बेरोज़गार|

द एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया है की देशभर के बी-कैटगरी के बिजनेस स्कूलों का नोटबंदी और जीएसटी ने इन बिजनेस स्कूलों के प्लेसमेंट का प्रदर्शन ख़राब कर दिया है| एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार इन स्कूलों के 20 प्रतिशत छात्रों को जिनके पास एमबीए की डिग्री है बेरोज़गार बैठे है| एसोचैम के अनुसार देख में नोटबंदी के कारण बिजनेस या नई इकाइयों की स्थापना में उद्योगपति ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है| इसी कारण बाजार में रोजगार का संकट बना हुआ है| एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल तक एमबीए पास करने वाले तक़रीबन 30 फीसदी लोगों को रोजगार मिल जाता था लेकिन नवम्बर 2016 के बाद से इसमें गिरावट देखी गई है|

मोदी सरकार की नीति से रद्द हुई एमबीए-इंजीनियरिंग की डिग्रियां, लाखो युवा हुए बेरोज़गार|

एसोचैम की खबर के अनुसार मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग कॉलेजों के विद्यार्थियों पहले की तुलना में मिलने वाले सैलरी पैकेज में नोटबंदी के बाद 40 से 45 फीसदी की गिरावट आई है| अखिल भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के ताजा आंकड़ों के अनुसार शैक्षणिक वर्ष 2016-17 के दौरान देश में 50 फीसदी से अधिक एमबीए डिग्रीधारियों को नौकरी नहीं मिल पा रही है|

आपको बता दें की इन आकड़ो में भारतीय प्रबंधन संस्थान यानी आईआईएम शामिल को शिमल नहीं किया गया है| आईआईएम को शामिल न करने कारण यह है की ये प्रीमियर इंस्टीट्यूट एआईसीटीई से संबद्ध नहीं रखते है| पुरे देश भर में तक़रीबन 5000 एमबीए इस्टीट्यूट हैं। शैक्षणिक सत्र 2016-17 के तहत ें संस्थानों से करीब 2 लाख एमबीए ग्रैजुएट पास हुए जिनमे से अधिकांश को रोजगार नहीं मिला|

जो हाल एमबीए डिग्रीधारियों का है वही इंजीनियरिंग डिग्रीधारियों का भी है| यही कारण है की अब लोग इंजीनियरिंग से किनारा करने लगे है और इंजीनियरिंग कॉलेजों सीटे खली पड़ी है|

द एसोचैम एजुकेशन काउंसिल की रिपोर्ट कहती है की दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरु, अहमदाबाद, कोलकाता, लखनऊ जैसे बड़े शहरों में 250 से ज्यादा बी-कैटगरी के बिजनेस स्कूलों पर साल 2015 के बाद से ताला लटका हुआ है| 99 और संस्थान अपने अस्तित्व की लड़ाई को लड़ रहे है| रिपोर्ट के अनुसार तक़रीबन 400 इंजीनियरिंग संस्थान एडमिशन न होने की वजह से बंद पड़े है|

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