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New Income Tax Rules: ये 10 नियम बदलने वाले है, जाने क्या होगा इसका असर?

New Income Tax Rules: नया वित्त वर्ष 2018-19, 1 अप्रैल 2018 से शुरू होने जा रहा है| इस साल पेश हुए बजट में वित्त मंत्री इ टैक्स से जुड़े 10 बड़े बदलाव का ऐलान किया था, जो अब 1 अप्रैल से बदल जाएँगे| तो आइए जानते है सबसे पहले टैक्स बचाने वाले टैक्स के बारे में| बता दें की भारत सरकार आगामी वित्त वर्ष में 40,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन देने जा रही है| सरकार के इस फैसले से देश के 2.5 करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा| बता दें की यह डिडक्शन 19,200 रुपए के ट्रांस्पोर्ट अलाउंस और 15,000 रुपए के मेडिकल रिम्बर्समेंट के बदले मिलेगा| इसके लागू हो जाने के बाद टोटल सैलरी में से 40,000 रुपए घटाकर, बाकि बची सैलरी पर इनकम टैक्स लगाया जाएगा|

New Income Tax Rules: ये 10 नियम बदलने वाले है, जाने क्या होगा इसका असर?

ज्यादा सेस: 1 अप्रैल 2018 से इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स पर 4 प्रतिशत सेस देना होगा, जो पहले 3 प्रतिशत देना होता था। इसका मतलब यह हुआ की अब किसी व्यक्ति पर जितना टैक्स बनेगा उसका 4% उसे हेल्थ ऐंड एजुकेशन सेस के रूप में भुगतान करना होगा।

लॉग टर्म कैपिटल गेन टैक्स: इक्विटी शेयर्स या फिर इक्विटी-ओरिएंटेड फंड्स के यूनिटों की बेचने से होने वाली इनकम के 1,00,000 रुपए से ज्यादा होने पर अब 10 प्रतिशत टैक्स (सेस अतिरिक्त) देना होगा। हालांकि टैक्स भरने वाले लोगो को छूट देते हुए 31 जनवरी 2018 तक की आय को नहीं गिना जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि इनकम के तौर पर जनवरी 2018 के बाद की कीमतों पर हुए लाभ पर ही यह नया नियम लगेगा।

सिंगल प्रीमियम हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर टैक्स की अधिक बचत: कुछ साल तक इंश्योरेंस की प्रीमियम भरते रहने पर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां कुछ डिस्काउंट देने लगती हैं। पहले बीमा लेने वाले 25,000 रुपए तक की रकम पर ही टैक्स डिडक्शन क्लेम कर पाते थे। लेकिन बजट 2018 में एक साल से ज्यादा की सिंगल प्रीमियम हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर बीमा अवधि के अनुपात में छूट दिए जाने का फैसला लिया गया है। मतलब, दो साल के इंश्योरेंस कवर के लिए 40,000 रुपये देने पर इंश्योरेंस कंपनी अगर 10% डिस्काउंट देती है, तो आप दोनों साल 20-20 हजार रुपये का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।

NPS निकालने पर टैक्स का फायदा: सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) से पैसे निकालने पर टैक्स में छूट का फायदा गैर-कर्मचारी उपभोक्ताओं (जो NPS के सदस्य हैं) को भी देने का प्रस्ताव रखा है। अभी जो नियमों है उसके हिसाब से कहीं नौकरी करने वाले उपभोक्ता एकाउंट की समय सीमा पूरा होने या उससे बाहर आने का निर्णय करने पर जब रकम को निकालते हैं, तो उसमें से 40 प्रतिशत रकम पर टैक्स नहीं वसूला जाता है। यही छूट गैर-कर्मचारी उपभोक्ताओं को नहीं मिलती थी, जो अब वित्त वर्ष 2018-19 से उन्हें भी इसका लाभ मिलेगा।

इक्विटी म्यूचुअल फंडों से होने वाली आय पर: इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड्स द्वारा दिए जाने वाले डिविडेंड पर 10 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा।

सीनियर सीटिजन को जमा की ब्याज पर ज्यादा छूट: नए वित्त वर्ष से सीनियर सीटिजन को बैंकों और पोस्ट ऑफिसों में खुले हुए सेविंग अकाउंट और आवर्ती जमा खातों (रेकरिंग डिपॉजिट अकाउंट) पर मिलने वाले ब्याज से होने वाली इनकम में ज्यादा रकम पर टैक्स में छूट मिलेगी। अभी सेविंग अकाउंट से होने वाली आय पर हर व्यक्ति आयकर अधिनियम की धारा 80TTA के तहत 10,000 रुपए तक के ब्याज पर टैक्स में छूट हासिल कर पाता था, लेकिन अब टैक्स कानूनों में धारा 80TTB जोड़ने के फैसले से, वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज से होने वाली आय में से 50,000 रुपए तक की रकम पर टैक्स में छूट दी जाएगी। हालांकि सीनियर सिटीजन अब 80TTA के तहत मिलने वाली छूट का फायदा नहीं ले पाएँगे।

सीनियर सीटिजन्स को टैक्स में ज्यादा छूट: सीनियर सीटिजन को जमा राशि पर ब्याज से होने वाली इनकम पर टैक्स की सीमा को 10,000 रुपए से बढ़ाकर 50,000 रुपए करने का ऐलान किया गया है।

धारा 80D के तहत टैक्स में छूट: इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80टी के तहत अब तक वरिष्ठ नागरिकों को 30,000 रुपए के प्रीमियम पर टैक्स में छूट मिलती थी, लेकिन अब यह सीमा नए वित्त वर्ष से 50,000 रुपए हो जाएँगी। 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए धारा 80D के तहत दी जाने वाली छूट की सीमा 25,000 रुपए में कोई बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन अगर उनके माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं, तो वे 50,000 रुपए की अतिरिक्त छूट ले सकेंगे, जिससे कि कुल छूट 75,000 रुपए यानि 25,000 + 50,000 रुपए हो जाएगी, जो इस समय में 55,000 रुपए है।

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इलाज के लिए टैक्स में ज्यादा छूट: कुछ बीमारियों के इलाज पर हुए खर्च के 1,00,000 रुपए तक की रकम पर अब टैक्स नहीं देना पड़ेगा। अब तक अति-वरिष्ठ नागरिकों (जो 80 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग है|) को 80,000 रुपए और वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष से अधिक के व्यक्तियों) को 60,000 रुपए की छूट मिलती थी।

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