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संकष्टी चतुर्थी 2019 शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, मंत्र, महत्व

संकष्टी चतुर्थी 2019 शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, मंत्र, महत्व आज 20 जून को देशभर में संकष्टी चतुर्थी का त्यौहार बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जा रहा है| संकष्टी चतुर्थी के पर्व पर भगवान गणेश जी पूजा अर्चना की जाती है| इस दिन भगवान गणेश की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है| इसलिए आज हम ाको बताने जा रहे है संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, पूजा मंत्र, आदि के बारे में| विघ्नहर्ता माने जाने वाले भगवान गणेश जी को हिन्दू धर्म में सबसे उचा दर्जा प्राप्त है| हिन्दू धर्म के लोग किसी भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गएष जी की पूजा अर्चना करते है और ऐसी मान्यता है की भगवान गणेश जी क पूजा अर्चना करने से कारोबार और जीवन में सुख की प्राप्ति होती है|

संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, मंत्र, महत्व

संकष्टी चतुर्थी 2019

हिंदी कैलेंडर के मुताबिक चतुर्थी महीने में दो बार आती है| एक कृष्ण पक्ष में और दूसरे शुक्ल पक्ष मे, शास्त्रों के अनुसार, चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश को समर्पित है. इन दो चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है| एक चतुर्थी अमवस्या के बाद शुक्ल पक्ष में आती है और दूसरी पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आती है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है|

संकष्टी चतुर्थी का शुभ मूहुर्त

शुभ मुहूर्त- अभिजीत मुहूर्त- नहीं, विजय मुहूर्त-02:3 pm से 03:27 pm

अशुभ मुहूर्त- राहुकाल-दोपहर 12 से 01:30 बजे तक

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

इस दिन भगवान गणेश जी के भक्त व्रत रखते और चाँद के दर्शन के बाद व्रत तोड़ते है| इस दिन व्रत रखने वाले लोग जातक फलों का सेवन कर सकते है| साबूदाना की खिचड़ी, मूंगफली और आलू भी खा सकते हैं| मान्‍यता है कि संकष्टी चतुर्थी संकटों को खत्म करने वाली चतुर्थी है|

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संकष्टी चतुर्थी पर ऐसे करें पूजा

1. सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहनें. पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें. चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें.
2. भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें. अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें, उसके बाद ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें.
3. इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाना है.
4. त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें. इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें.
5. पूजन उपरांत चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें. पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें.

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