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Kajari Teej 2021 (Date & Time) कजरी तीज शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा, महत्व

आज देशभर में बड़ी धूम-धाम के साथ कजरी तीज का त्यौहार मनाया जा रहा है| कजरी तीज का हिन्दू धर्म में एक विशेष महत्व है| इस पर्व को पति और पत्नी के प्रेम का प्रतीक मन जाता है| ऐसी मान्यता है की इस दिन व्रत रखने से पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है और उन्हे रिश्ता कई जन्मों को हो जाता है| कजरी तीज पर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास करती है| वही इस दिन कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की कामना के लिए व्रत करती है| पूरे साल में चार तीज आती है| जिसमें से कजरी तीज के पर्व का एक विशेष महत्व होता है| कजरी तीज का त्यौहार उत्तर भारत के राज्य विशेषकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और राजस्थान में मनाया जाता है| कजरी तीज शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा नीचे देखे-

कजरी तीज 2018 शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा, महत्व

कजरी तीज कब है? | Kab Hai Kajari Teej 2021

हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद यानी कि भादो माह के कृष्‍ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज मनाई जाती है| साल 2021 में कजरी तीज 25 अगस्त को मनाई जाएगी|

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कजरी तीज (Kajari Teej) का क्या महत्व है?

कजरी तीज को कजली तीज आबादी तीज के नाम से जानी जाती है| इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने की मान्यता है| हिन्दू धर्म की विवाहित महिलाओं के लिए यह पर्व काफी महत्व रखता है| कुंवारी लड़कियां इस दिन व्रत रखकर अच्छे पति मिलने की प्रार्थना करती है| ऐसी मान्यता है की इस दिन व्रत करने से सभी इच्छा पूर्ण होती है|

हरियाली तीज 2021 शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, कथा, पूजन सामग्री

कजरी तीज 2021 शुभ मुहूर्त (Date & Time)

कजरी तीज बुधवार, अगस्त 25, 2021 को
तृतीया तिथि प्रारम्भ – अगस्त 24, 2021 को 04:04 पी एम बजे
तृतीया तिथि समाप्त – अगस्त 25, 2021 को 04:18 पी एम बजे

कजरी तीज पूजा विधि

 सबसे पहले सुबह-सवेरे उठकर स्‍नान करने के बाद स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें और व्रत का संकल्‍प लें. याद रहे कजरी तीज का व्रत निर्जला होता है.
 इसके बाद घर में सही दिशा को ध्‍यान में रखते हुए पूजा का स्‍थान बनाएं.
 इस पूजा के स्‍थान पर रेत और गोबर जमा कर छोटा सा तालाब बना लें.
 तालाब के किनारे नीम की एक डाल रोपकर उसके ऊपर लाल रंग की ओढ़नी डालें.
 इस तालाब के पास भगवान गणेश और माता लक्ष्‍मी की प्रतिमा विराजमान करें.
 इसके बाद कलश पर मौली बांधकर स्‍वास्तिक बनाएं. फिर कलश पर कुमकुम, चावल, सत्तू, गुड़ और एक सिक्‍का चढ़ाएं.
 फिर गणेश जी और लक्ष्‍मी जी की प्रतिमा पर कुमकुम, चावल, सत्तू, गुड़, फल और एक सिक्‍का चढ़ाएं.
 इसके बाद तीज माता की पूजा करें और उन्‍हें सत्तू अर्पित करें.
 अब इस तालाब में दूध और पानी डालें.
 अगर विवाहित हैं तो इस तालाब के पास कुमकुम, मेहंदी और काजल से सात बिंदु बनाएं.
 कुंवारी लड़कियों को 16 बिंदु बनाने होते हैं.
– अब दीपक जलाकर व्रत कथा सुनें.
 व्रत कथा सुनने के बाद तालाब पर उन सभी चीजों का प्रतिबिंब देखें जिन्‍हें आपने तीज माता को चढ़ाया है.
 फिर अपने गहनों और दीपक का प्रतिबिंब देखें.
 इसके बाद कजरी गीत गाने के बाद तीज माता से प्रार्थना करें और उनके चारों ओर तीन बार परिक्रमा करें.
 कजरी तीज के दिन गौ माता के पूजन का विशेष महत्‍व है. आटे की सात रोटियां बनाएं और उस पर घी और गुड़ रखककर गाय को खिलाएं.
 चंद्रमा के निकलने के बाद उसे अर्घ्‍य दें.
 फिर पति के हाथों पानी पीकर अपना व्रत खोले

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