कोरोना वायरस के बाद धीरे धीरे ही सही भारत उन उत्पादों में आत्मनिर्भर बन रहा है जिसपर कभी चीन का अधिकार था। यह स्थिति हर साल दीवाली पर बिकने वाले झालरों की है। 2 साल पहले भारत मे इसका निर्माण ना के बराबर था। लेकिन अभी तेजी से भारत में ये सब बनने लगा है। कोरोना में भारत में दीवाली उत्पाद की हिस्सेदारी मात्र 20% थी लेकिन अब 40 % हो गई है। धनतेरस पर भारत के दुकानदारों की बिक्री बढ़ गई है। बिजली उपकरण तुषार डे का कहना है कि भारतिय झालरों का दाम चीनी झालरों के मुकाबले थोड़ा ज्यादा है।
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लेकिन भारतीय झालर में 6 महीने की गारंटी है जब कि चीनी झालर पहले भी बिना गारंटी के बिक रही थीं और आज भी बिना गारंटी के बिकती है। इस बार बड़े दाने वाले लाइट ज्यादातर भारत में बन रहे हैं जिसका उत्पाद दिल्ली, कोलकाता, अहमदाबाद और चंडीगढ़ में हो रहा है। अब तक छोटे राइस के झालर भारत मे नही बन रहे थे लेकिन अब इनकी सुंदरता चीनी झालर से कम नही है। दुकानदार सुभाष का कहना है कि इस बार भारत में 60 % चीनी और 40% भारतीय झालर बिक रही है। लेकिन एलइडी लाइट में लगने वाले चिप चीन, जापान और कोरिया से आ रहे हैं।
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लेकिन एलईडी बल्ब का तार स्विच प्लास्टिक मटेरियल ये सब भारत का बना हुआ है। उम्मीद है कि आने वाले 1 2 साल में हम चीनी सामान पर निर्भर नहीं रहेंगे। कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने कहा कि चाइनीज लाइट का वर्चस्व पिछले 15 साल से रहा है। इससे पहले भी कोलकाता और दिल्ली में दीवाली झालर बनते थे। इस बीच ऑटोमोबाइल समेत अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए यहाँ पर एलईडी लाइट बनते थे। लेकिन दीवाली के लिए नही बनते थे। लेकिन जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आह्वान किया है तब से इसका असर दिख रहा है।
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आज भारत मे कोई ऐसा सामान नही है जोकि नही बन सकता। लेकिन दिक्कत की बात ये है की भारतीय सामान थोड़ा महँगा मिलता है। लेकिन बहुत जल्दी इस पर भी नियंत्रण हों जाएगा। मुख्य समाचार पढ़ने के लिए धन्यवाद।