आरबीआई के इतिहास में पहली बार सीएफओ की नियुक्ति, सुधा बालाकृष्णन बनी पहली CFO: रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के इतिहास में पहले बार सीएफओ (चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर) की नियुक्ति की गई है| ईटी की खबर के अनुसार रिज़र्व बैंक फर्स्ट की पहली CFO सुधा बालाकृष्णन को नियुक्त किया गया है| बता दें की उनका कार्यकाल ३ साल का होगा| सुधा ने 15 मई से अपना यह पदभार संभल लिया है| उर्जित पटेल के गवर्नर बनने के बाद आरबीआई में पहली बार इतना बड़ा संस्थागत बदलाव हुआ है| बता दें की सुधा डिपॉजिटरी कंपनी NSDL की वाइस प्रेसीडेंट है| पेशे से सुधा चार्टर्ड अकाउंटेंट है| सुधा रिजर्व बैंक की 12वीं एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर हैं।
सीएफओ के तौर पर सुधा का काम रिज़र्व बैंक की बैलेंस शीट को चेक करना होगा| इस पद के लिए पिछले साल 2017 के अक्टूबर महीने में नोटिस जारी किया गया था जिसमें कहा गया था की CFO की सही समय पर सही तरीके से केंद्रीय बैंक के वित्तीय प्रदर्शन और बजट की प्रक्रिया को देखने की जिम्मेदारी होगी। बता दें की हर आरबीआई सरकार को डिविडेंड देता है। इस पर अब सुधा फैसला लेंगी| बता दें की अगस्त 2017 में आरबीआई ने सरकार को 30,659 करोड़ रुपए का डिविडेंड दिया था।
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आतंरिक अकाउंट और बजट के अलावा वो कॉर्पोरेट स्ट्रैटेजी को भी देखेंगी। इससे ज्यादा उनकी जिम्मेदारी सरकार और बैंक अकाउंट डिपार्टमेंट की होगी। साथ ही वो RBI के देश विदेश में होने वाले निवेश को भी संभालेंगी।
आरबीआई के आतंरिक कामों की देख रेख के लिए एक विशेष व्यक्ति नियुक्त करने की बात पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के समय में पहली बार उठी थी| राजन चीफ ऑपरेटिंग अफसर का पद चाहते थे जिसकी रैंक डिप्टी गवर्नर के बराबर हो। सरकार ने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया था| पटेल के गवर्नर बनने के बाद सरकार के साथ मिलकर ये फैसला हुआ कि सीएफओ का पद एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर रैंक का होगा।
रिजर्व बैंक मई 2017 से अपने लिए सीएफओ की तलाश कर रहा था। सुधा बालाकृष्णन को सैलरी के तौर पर 2 लाख रुपए महीना घर के साथ या 4 लाख रुपए बिना घर के मिलेंगे। उनकी सैलरी सालाना 3 से 5 फीसदी के हिसाब से बढ़ेगी।