विपक्षी दलों ने उपराष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग का नोटिस सौंपा: आज विपक्षी दलों के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का नोटिस उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को सौंप दिया है| विपक्षी दलों के द्वारा ये फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब कल सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जज बीएच लोया की मौत की जांच को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया गया|
पीटीआई के अनुसार, सात राजनीतिक दलों के 60 सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर अपने दस्तखत किए। ये सांसद कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआई, समजावादी पार्टी, बीएसपी और मुस्लिम पार्टी के हैं।
उपराष्ट्रपति नायडू से मुलाकात करने से ठीक कुछ समय पहले राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने सभी विपक्षी राजनीतिक पार्टी के प्रतिनिधिमंडल से मिले, जिन्होंने फरवरी में एक याचिका पर दस्तखत कर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से जज लोया की मौत की जांच किए जाने की मांग की थी।
मुख्य न्यायधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की सलाह 12 जनवरी के सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मिली थी। गुरुवार को जज लोया की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने इसे देश के लिए ‘निराशाजनक दिन’ बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस केस को लेकर चिंता व्यक्त की थी।
वही दूसरी और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा की प्रधान न्यायाधीश को वकीलों की भावना को समझना चाहिए| उन्होंने की पिछले तिने महीने में कुछ भी नहीं बदला है| न्यायपालिका के बिना लोकतंत्र नहीं, लेकिन न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में।
कांग्रेस ने कहा की हमारे पास मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग लाना ही आखिरी विकल्प था।महाभियोग की प्रक्रिया की बात करें तो जज इन्कवायरी एक्ट, 1968 के तहत मुख्य न्यायाधीशी के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरु करने के लिए लोकसभा में 100 सदस्यों और राज्यसभा में 50 सदस्यों के समर्थन की जरुरत होती है|