भिंडरावाला के बारे में माना जाता है कि वह सिख धर्म का कट्टर समर्थक था। भिंडरवाला ने आते ही पूरे पंजाब में अपनी पकड़ मजबूत की और इसके बाद हिंसक रूप से अपनी मांग की।
साल 1980 से 84 के बीच आतंकी हमले ने अपना भयानक रूप ले लिया। 1983 में भिंडरवाला ने पंजाब के स्वर्ण मंदिर में अपना ठिकाना बनाया, मंदिर में सैकड़ों हथियार रखे थे। मंदिर को उसने एक सुरक्षा किला के रूप में बना दिया था।
उस समय के इंदिरा गांधी सरकार ने तुरंत इस पर एक्शन लेते हुए भिंडरवाला को स्वर्ण मंदिर से निकालने के लिए तैयारी की जाने लगी।
इसके लिए सबसे पहले ऑपरेशन सन्डाउन बनाया गया जिसमें 200 सैनिकों को इसके लिए ट्रेनिंग दी गई लेकिन बाद में आम नागरिकों की जान ज्यादा नुकसान होने की आशंका के चलते ऑपरेशन को नकार दिया गया।
इस ऑपरेशन के बाद सिख समुदाय में इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ जबरदस्त उत्साह दिखाया। इसके बाद कई कांग्रेस नेताओं ने इस्तीफा दे दिया।
घटना के महज 4 महीने बाद में 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई जिसमें उनके ही दो सिख सुरक्षाकर्मी शामिल थे।