गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उसे फैसले के उलट फैसला देते हाई कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया जिसमे कहा गया था की शादी के बाद महिला का वही धर्म होता है जो पति का होगा| कोर्ट ने वलसाद पारसी ट्रस्ट दुबारा से विचार विमर्श करने का आदेश दिया है, बता दें की पारसी ट्रस्ट ने टावर अॉफ साइसेंस में एक महिला को अन्दर आने से मना कर दिया और उसके माता-पिता के अंतिम संस्कार करने पर सिर्फ इसलिए रोक लगा दी गई, क्योंकि महिला ने अपने समाज से बाहर शादी की|
जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सिकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने पारसी ट्रस्ट के रवैये पर सवाल खड़ा करते हुए कहा की एक पारसी व्यक्ति जिस ने दूसरे समाज की महिला से शादी है उसे टावर अॉफ साइलेंस की अनुमति है,पर एक पारसी महिला जिसने समाज से बाहर शादी की है उसे टावर अॉफ साइलेंस से रोका जाना गलत है| बता दें की एक पारसी महिला जिसका नाम गुलरोख एम गुप्ता को टावर अॉफ साइलेंस में जाने पर पाबन्दी लगा दी थी| कोर्ट ने कहा की महिला के नागरिक अधिकारों को नकारने के लिए कभी भी शादी को आधार नही बनाया बना सकते|