देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण ज्यादा बढ़ने की वजह से बीमारियां फैल रही है। वहीं कई सारे लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार 5.6 प्रतिशत लोगों की मौत सांस की बीमारी की वजह से हो रही है। प्रजा फाउंडेशन के निदेशक मिलिंद म्हस्के के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल दिल्ली में 1,42,789 लोगों की मौत हुई थी। इनमें से 39 प्रतिशत लोगों की मौत घर में हुई थी और इनमें से 5.6 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिनकी मौत सांस की परेशानी से हुई थी।
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इस परेशानी का मुख्य कारण हवा प्रदूषण था। एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में जनसंख्या जितनी हैं उसके मुकाबले अस्पताल और दवा खाना की सेवाएं काफी ज्यादा कम है। अस्पताल को चलाने वाली एजेंसी ने हर साल हेल्थ बजट अलॉट किया जाता है। इससे पूरा खर्चा नहीं चल पाता है।
प्रदूषण के कारण बढ़ा अवसाद का खतरा
अमेरिका में हुए अपने तरह के पहले अनुसाधन में पता चला है कि वायु प्रदूषण होने की वजह से स्वस्थ लोग भी निराशाजनक और अस्वस्थ दिखाई देते हैं। ऐसे लोगों में पीड़ित होने का खतरा सबसे ज्यादा दिखाई देता है। सोमवार को 40 से ज्यादा देशों में वायु प्रदूषण संबंधी वैज्ञानिक आकंड़ों, न्यूरोइमेजिंग, मस्तिष्क संबंधी जीन के विवरण का संयोजन किया गया।
बताया जाता है कि वायु प्रदूषण होने की वजह से मस्तिष्क पर भी गहरा असर पड़ सकता है। ऐसे में क्योंकि हमारा शरीर अलग अलग धातु से बना होता है और अगर हमारे आसपास का क्लाइमेट शुद्ध नहीं होगा तो हम बिना वजह बीमार हो सकते हैं। हमारी आज की जानकारी में मुख्य रूप से दिल्ली में हो रहे हैं प्रदूषण के बारे में चर्चा की गई है। बताया जा रहा है कि आज की तारीख में दिल्ली में भारी मात्रा में लोग रहते हैं और जनसंख्या काफी है।
यदि ऐसे में प्रदूषण की वजह से लोगों की जान जाती है तो या फिर वह बीमार पड़ जाते हैं तो ऐसे में दिल्ली में अस्पताल दवा और दवा खाने की कमी पड़ने वाली है। एक आंकड़े के मुताबिक घर में बैठे हुए लोगों में 5.6 प्रतिशत लोग सांस की बीमारी से बीमार पड़े हैं। दिल्ली की सरकार ने यदि इस बात को लेकर जल्दी कोई बड़ा फैसला नहीं लिया था एक बार फिर से भारत की राजधानी दिल्ली में मौत का तांडव एक बार फिर से देखने को मिल सकता है।। हमारी आज की मुख्य जानकारी पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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