दिल्ली में ग्रेजुएट कर्मचारियों को कम से कम 19,500 देनी होगी सैलरी, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला दिल्ली सरकार के न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने कहा की दिल्ली में ग्रेजुएट कर्मचारियों को 19,572 रुपये प्रतिमाह से कम वेतन नहीं दिया जा सकता है। दिवाली से पहले देश की शीर्ष अदालत ने जो फैसला सुनाया है उससे अकुशल, अर्धकुशल, कुशल श्रमिकों और अनुबंध पर काम करने वाले करीब 50 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।
न्यूनतम वेतन संशोधन को सही ठहराते हुए अदालत ने कहा की कर्मचारियों को कोई एरियर नहीं दिया जाएगा। बता दें की दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 3 मार्च 2017 को दिल्ली में न्यूनतम मजदूरी में 11.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। सरकार के इस फैसले के खिलाफ कुछ लोगों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस संबंध में अदालत ने 4 सितंबर 2018 को दिल्ली सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी। अदालत के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुँच गई। करीब 2 साल तक चले इस मामले में अब आखिरकार फैसला दिल्ली सरकार के पक्ष में आया है। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाकर न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने का निर्देश दिया है। साथ ही, पीठ ने इस मामले में दायर की अन्य अर्जियों को त्वरित सुनवाई पर लगाने का आदेश दे दिया। ये अपीलें विभिन्न नियोक्ताओं तथा फैक्टरी मालिकों ने दायर की हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही दिल्ली सरकार के श्रम विभाग ने न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के लिए 4 सदस्यीय मूल्य संग्रह समिति का गठन किया था। समिति ने सभी छह श्रेणियों में 11.1 फीसदी तक वेतन बढ़ाने का प्रस्ताव दिया। आपत्ति और सुझाव के बाद 31 जनवरी को यह रिपोर्ट अदालत में पेश की गई थी। इसके चलते महंगाई भत्ते बढ़ाने पर भी रोक लगी थी।
दिल्ली में किसे कितनी सैलरी
श्रेणी पहले अब प्रतिमाह रोजाना
अकुशल 13,350 14,842 571
अर्धकुशल 14,698 16341 629
कुशल 16,182 17991 692
नॉन मैट्रिक 9,724 16341 629
गैर स्नातक 10,764 17991 692
स्नातक व ऊपर 1,830 19572 753
BREAKING NEWS ??
Delhi Govt’s Amendment to Minimum Wages Act, with provision of imprisonment and a fine of Rs.20,000 on employers for not paying minimum wages gets the President’s assent. pic.twitter.com/ad7khcKdQo— AAP (@AamAadmiParty) May 8, 2018
दिल्ली विधानसभा ने बीते वर्ष अगस्त में यह विधेयक पास किया था. उस वक्त सरकार ने कहा था कि वर्तमान में दिल्ली में न्यूनतम वेतन न देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के प्रावधान नहीं हैं. इसलिए क़ानून का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके इसके लिए विधेयक लाना पड़ा है.
अब तक न्यूनतम वेतन न देने के संबंध में केवल 500 रुपये जुर्माने और छह महीने जेल तक की सज़ा का ही प्रावधान था.
वहीं, न्यूनतम वेतन क़ानून, 1948 के तहत अन्य किसी अपराध पर केवल 500 रूपये जुर्माने का ही प्रावधान था जो अब 20000 रूपये या 1 साल की सजा कर दिया गया है.